‘मानव का कल्याण ईश्वर भक्ति से ही संभव’







अहंकार मनुष्य को हमेशा पतन की ओर ले जाता है। जिसने अहंकार का त्याग कर दिया। उसने अपनी जीवन की सार्थकता को सिद्ध कर दिया। आज इस कलयुग में अगर इस संसार रूपी भव सागर से पार उतरना हैं तो मनुष्य को अपना ध्यान भगवान की भक्ति में लगाना चाहिए क्योंकि ईश्वर भक्ति से मानव का कल्याण संभव है। जब जब भक्तों पर संकट आया उसे पार करने में भगवान ने हमेशा मदद की है। ये प्रवचन सोमवार को नेवरा गांव के तिंवरी फांटा के पास चल रही भागवत कथा के दौरान संत सियाराम महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भागवत कथा सुनाते हुए कहे। उन्होंने कथा के माध्यम से भक्तों में सुदामा, मीरा, प्रह्लाद भक्त, करमाबाई व ध्रुव के प्रसंग के माध्यम से भगवान व भक्त के बीच भक्ति के गहरे संबंध को बताते हुए ईश्वर की महिमा को अपरंपार बताया।

भागवत कथा के दौरान भक्त व भगवान के मार्मिक चित्रण पर पंडाल में बैठे कई भक्त भावुक हा़े उठे। नेवरा, किरमसरिया, रीनिया, नेवरा, बिगमी, उम्मेदनगर, खारड़ा मेवासा सहित आसपास के दर्जनों गांवों के महिला व पुरुष भक्तों सहित आयोजन समिति के दर्जनों कार्यकर्ताओं द्वारा इस भागवत कथा का लाभ उठाया। वहीं चौथे दिन के कथा की समाप्ति पर व्यास पीठ पर स्थापित भागवत कथा के आरती का लाभ लिया।

भास्कर न्यूज|मथानिया

अहंकार मनुष्य को हमेशा पतन की ओर ले जाता है। जिसने अहंकार का त्याग कर दिया। उसने अपनी जीवन की सार्थकता को सिद्ध कर दिया। आज इस कलयुग में अगर इस संसार रूपी भव सागर से पार उतरना हैं तो मनुष्य को अपना ध्यान भगवान की भक्ति में लगाना चाहिए क्योंकि ईश्वर भक्ति से मानव का कल्याण संभव है। जब जब भक्तों पर संकट आया उसे पार करने में भगवान ने हमेशा मदद की है। ये प्रवचन सोमवार को नेवरा गांव के तिंवरी फांटा के पास चल रही भागवत कथा के दौरान संत सियाराम महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भागवत कथा सुनाते हुए कहे। उन्होंने कथा के माध्यम से भक्तों में सुदामा, मीरा, प्रह्लाद भक्त, करमाबाई व ध्रुव के प्रसंग के माध्यम से भगवान व भक्त के बीच भक्ति के गहरे संबंध को बताते हुए ईश्वर की महिमा को अपरंपार बताया।

भागवत कथा के दौरान भक्त व भगवान के मार्मिक चित्रण पर पंडाल में बैठे कई भक्त भावुक हा़े उठे। नेवरा, किरमसरिया, रीनिया, नेवरा, बिगमी, उम्मेदनगर, खारड़ा मेवासा सहित आसपास के दर्जनों गांवों के महिला व पुरुष भक्तों सहित आयोजन समिति के दर्जनों कार्यकर्ताओं द्वारा इस भागवत कथा का लाभ उठाया। वहीं चौथे दिन के कथा की समाप्ति पर व्यास पीठ पर स्थापित भागवत कथा के आरती का लाभ लिया।








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